Following is the text in Hindi, of the Prime Minister, Dr. Manmohan Singh’s speech on the occasion of the release of a commemorative postage stamp in honour of eminent Ghazal singer and musician, Shri Jagjit Singh, in New Delhi today:
“आज हम सब यहाँ जगजीत सिंह जी के सम्मान में इक्टठा हुए हैं। हमारे देश में संगीत के इतिहास में जगजीत सिंह जी की एक ख़ास जगह है। वे आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज़ और उनके संगीत का जादू हम पर हमेशा गहरा असर करता रहेगा। मुझे खुशी है कि डाक विभाग उनकी याद में एक डाक टिकट जारी कर रहा है।
जगजीत सिंह जी एक अनोखे कलाकार थे। संगीत के क्षेत्र में उनकी दिलचस्पी और जानकारी बहुत गहरी थी। वे एक कामयाब गायक, संगीतकार और गीतकार, ये सभी कुछ थे। यही नहीं, चाहे शास्त्रीय संगीत हो या भक्ति संगीत, लोक संगीत हो या गज़ल, संगीत के सभी क्षेत्रों में उनका अच्छा दखल था। लेकिन गज़ल गायिकी के लिए शायद उनको सबसे ज्यादा याद किया जाता है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने भारत में गज़ल गायिकी का एक ऐसा अंदाज़ अपनाया जिसने गज़ल को एक नयी जिंदगी दी। उनके द्वारा गाई हुई गज़लों में ख़ास बात यह थी कि वे आसानी से जनता की जुबान पर आ जाती थीं। उन्होंने गज़ल गायिकी में नये प्रयोग भी किए।
गज़ल संगीत में पहली बार पश्चिमी musical instruments का इस्तेमाल एक ऐसा ही प्रयोग था। उन्होंने शायद पहली बार गज़ल को जुगलबंदी में पेश किया। इसमें उनका साथ उनकी पत्नी श्रीमती चित्रा सिंह जी ने दिया, जो आज हमारे बीच मौजूद हैं, और खुद एक मशहूर गज़ल गायिका हैं।
जगजीत सिंह जी ने फिल्मों और TV Serials में भी काम किया और अपनी अलग छाप छोड़ी। "अर्थ" और "साथ-साथ" जैसी फिल्मों और "मिर्जा गालिब" और "कहकशाँ" जैसे TV Serials में उन्होंने जो गज़लें पेश कीं वे बहुत लोकप्रिय हुईं।
उनका सारा जीवन संगीत को समर्पित रहा। उनकी निजी ज़िंदगी में बड़ी मुश्किलें आईं लेकिन उनका काम जारी रहा।
जगजीत सिंह जी जैसे कलाकार सदियों में एक बार पैदा होते हैं। वे आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका संगीत हमारे मन को छूता रहेगा और हमारा दिल बहलाता रहेगा। मैं एक बार फिर जगजीत सिंह जी को श्रद्धांजलि देता हूँ और डाक विभाग को उनकी याद में डाक टिकट जारी करने के लिए बधाई देता हूँ।”
“आज हम सब यहाँ जगजीत सिंह जी के सम्मान में इक्टठा हुए हैं। हमारे देश में संगीत के इतिहास में जगजीत सिंह जी की एक ख़ास जगह है। वे आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज़ और उनके संगीत का जादू हम पर हमेशा गहरा असर करता रहेगा। मुझे खुशी है कि डाक विभाग उनकी याद में एक डाक टिकट जारी कर रहा है।
जगजीत सिंह जी एक अनोखे कलाकार थे। संगीत के क्षेत्र में उनकी दिलचस्पी और जानकारी बहुत गहरी थी। वे एक कामयाब गायक, संगीतकार और गीतकार, ये सभी कुछ थे। यही नहीं, चाहे शास्त्रीय संगीत हो या भक्ति संगीत, लोक संगीत हो या गज़ल, संगीत के सभी क्षेत्रों में उनका अच्छा दखल था। लेकिन गज़ल गायिकी के लिए शायद उनको सबसे ज्यादा याद किया जाता है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने भारत में गज़ल गायिकी का एक ऐसा अंदाज़ अपनाया जिसने गज़ल को एक नयी जिंदगी दी। उनके द्वारा गाई हुई गज़लों में ख़ास बात यह थी कि वे आसानी से जनता की जुबान पर आ जाती थीं। उन्होंने गज़ल गायिकी में नये प्रयोग भी किए।
गज़ल संगीत में पहली बार पश्चिमी musical instruments का इस्तेमाल एक ऐसा ही प्रयोग था। उन्होंने शायद पहली बार गज़ल को जुगलबंदी में पेश किया। इसमें उनका साथ उनकी पत्नी श्रीमती चित्रा सिंह जी ने दिया, जो आज हमारे बीच मौजूद हैं, और खुद एक मशहूर गज़ल गायिका हैं।
जगजीत सिंह जी ने फिल्मों और TV Serials में भी काम किया और अपनी अलग छाप छोड़ी। "अर्थ" और "साथ-साथ" जैसी फिल्मों और "मिर्जा गालिब" और "कहकशाँ" जैसे TV Serials में उन्होंने जो गज़लें पेश कीं वे बहुत लोकप्रिय हुईं।
उनका सारा जीवन संगीत को समर्पित रहा। उनकी निजी ज़िंदगी में बड़ी मुश्किलें आईं लेकिन उनका काम जारी रहा।
जगजीत सिंह जी जैसे कलाकार सदियों में एक बार पैदा होते हैं। वे आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका संगीत हमारे मन को छूता रहेगा और हमारा दिल बहलाता रहेगा। मैं एक बार फिर जगजीत सिंह जी को श्रद्धांजलि देता हूँ और डाक विभाग को उनकी याद में डाक टिकट जारी करने के लिए बधाई देता हूँ।”